भारत और साइप्रस 2 एमओयू पर हस्ताक्षर |
Updated On September 4, 2018
भारत और साइप्रस ने पर्यावरण के क्षेत्र में मनी लॉंडरिंग और सहयोग का मुकाबला करने पर दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। निकोसिया (साइप्रस की राजधानी) में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उनके साइप्रस समकक्ष निकोस अनास्तासीड्स के बीच व्यापक बातचीत के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। राष्ट्रपति कोविंद ने यूरोपीय देशों के साथ भारत के उच्चस्तरीय कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए बुल्गारिया और चेक गणराज्य समेत यूरोप की अपनी तीन-राष्ट्रीय यात्रा के पहले चरण में साइप्रस का दौरा किया।
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मुख्य तथ्य:

भारत-साइप्रस संबंध
- मनी लॉंडरिंग का मुकाबला करने पर एमओयू पर वित्तीय खुफिया इकाई, भारत और यूनिट के बीच साइप्रस के मनी लॉंडरिंग का मुकाबला करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता निवेश पार-प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए संस्थागत ढांचे को और मजबूत करेगा।
भारत-साइप्रस संबंध
- साइप्रस भारत में आठवां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसमें वित्तीय पट्टे, स्टॉक एक्सचेंज, ऑटो निर्माण, विनिर्माण उद्योग, रियल एस्टेट, कार्गो हैंडलिंग, निर्माण, शिपिंग और रसद जैसे क्षेत्रों में करीब 9 अरब डॉलर का संचयी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश है।
2016 में दोनों देशों के बीच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) संशोधित किया गया था| - 1 962 में भारत और साइप्रस के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए गए थे। साइप्रस को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के संघर्ष के दौरान भारत का समर्थन मिला। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2015 में 76.5 मिलियन यूरो था। साइप्रस में भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं कार्बनिक रसायन, वाहन और सहायक उपकरण और लौह और इस्पात हैं। भारत का मुख्य आयात एल्यूमीनियम और इसके उत्पादों, लकड़ी लुगदी, मशीनरी, बॉयलर, इंजन, और प्लास्टिक हैं।