उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की कुछ तहसीलों जैसे बहेरी, मीरगंज, फरीदपुर, नबावगंज, आदि में पोलियो की संभावित आशंका के चलते नमूनों को आगे की जाँच के लिए मुम्बई स्थित केन्द्रीय प्रयोगशाला भेज दिया गया है। राज्य की तहसीलों से लगभग 200 सैम्पल भेजे गए हैं क्योंकि यहाँ बच्चों के अंगों में शिथिलता तथा लकवे की शिकायत सामने आई है जोकि पोलियो के लक्षणों में प्रमुख है। हालांकि देश में पोलियो के पुन: पैर पसारने की पुष्टि तभी होगी जब स्टूल के नमूनों से भी देश में वाइल्ड पोलियो के होने पर मुहर लगेगी। उल्लेखनीय है कि देश की सरकारों तथा स्वास्थ्य विभाग की टीमों के दशकों के अथक परिश्रम से भारत को वर्ष 2014 में पोलियो-मुक्त देश (Polio-Free country) घोषित किया गया था क्योंकि यहाँ तीन साल से पोलियो का कोई नया मामला सामने नहीं आया था। देश में पोलियो का अंतिम मामला वर्ष 2011 में प्रकाश में आया था जब पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 18 माह की रुखसार को पोलियो होने की पुष्टि हुई थी। वहीं जहाँ तक उत्तर प्रदेश की बात है, यहाँ पोलियो का अंतिम मामला वर्ष 2010 में फिरोज़ाबाद जिले में सामने आया था।